जम्मू-कश्मीर: नेशनल कॉन्फ्रेंस और बीजेपी के बीच बन सकती है नई राजनीतिक साझेदारी?
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं, और राज्य में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार बनने के आसार हैं। रुझानों के मुताबिक एनसी-कांग्रेस गठबंधन को बहुमत मिल गया है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। यह चुनाव 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद राज्य में पहली बार हो रहे थे, जिससे इसकी राजनीतिक अहमियत और बढ़ गई है।
नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ चुके हैं, और राज्य में नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस के गठबंधन की सरकार बनने के आसार हैं। रुझानों के मुताबिक एनसी-कांग्रेस गठबंधन को बहुमत मिल गया है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दूसरी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है। यह चुनाव 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद राज्य में पहली बार हो रहे थे, जिससे इसकी राजनीतिक अहमियत और बढ़ गई है।
बीजेपी और अब्दुल्ला परिवार का रिश्ता
जम्मू-कश्मीर में लंबे समय से गठबंधन सरकारें बनती रही हैं। फारूक अब्दुल्ला ने पहले कांग्रेस के सहयोग से सरकार बनाई थी, लेकिन बाद में नेशनल कॉन्फ्रेंस ने भारतीय जनता पार्टी के साथ भी संबंध बनाए। 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र सरकार बनने पर, एनसी ने भाजपा के साथ गठबंधन किया था। फारूक अब्दुल्ला के बेटे, उमर अब्दुल्ला को वाजपेयी सरकार में मंत्री भी बनाया गया था। हालांकि, समय के साथ दोनों पार्टियों के रिश्तों में खटास आ गई थी।
हाल ही में भी नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रमुख फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की कई मौकों पर सराहना की है, खासकर विदेश मंत्री एस जयशंकर के पाकिस्तान दौरे को लेकर।
क्या हो सकता है राजनीतिक खेल?
सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि जम्मू-कश्मीर में खेला हो सकता है। अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस भाजपा के साथ जाती है, तो घाटी में दोनों पार्टियों को फायदा हो सकता है। हालांकि, राज्य सरकार की मुख्य शक्तियां उपराज्यपाल के अधीन रहेंगी, जिसमें पुलिस और सिविल सेवा से जुड़े फैसले उपराज्यपाल द्वारा लिए जाएंगे।
सरकार चाहे जो बने, लेकिन केंद्र के साथ तालमेल रखना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि इससे निर्णय लेने में आसानी हो सकती है। फारूक अब्दुल्ला अक्सर जम्मू-कश्मीर के विकास की वकालत करते रहे हैं, और अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस केंद्र सरकार के साथ सहयोग करती है, तो राज्य को विशेष बजट का भी लाभ मिल सकता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और भाजपा के बीच रिश्ते कैसे विकसित होते हैं। क्या यह एक फ्रेंडली सरकार की शुरुआत है, या फिर पुरानी तल्खियों का असर जारी रहेगा?
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