बिहार में मांझी की तर्ज पर झारखंड में रहा चंपई का 'प्रयोग', इस्तीफे पर हुई तगड़ी 'जद्दोजहद'

झारखंड में सत्ता के गलियारे में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच हेमंत सोरेन तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने को तैयार हैं। शपथ ग्रहण समारोह गुरुवार को संभावित है। 2019 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी को जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल जाने से पहले 'स्टॉप गैप अरेंजमेंट' के तहत चंपई सोरेन को अपनी कुर्सी सौंपी थी।

Jul 4, 2024 - 05:12
बिहार में मांझी की तर्ज पर झारखंड में रहा चंपई का 'प्रयोग', इस्तीफे पर हुई तगड़ी 'जद्दोजहद'
बिहार में मांझी की तर्ज पर झारखंड में रहा चंपई का 'प्रयोग', इस्तीफे पर हुई तगड़ी 'जद्दोजहद'

रांची: झारखंड में सत्ता के गलियारे में तेजी से बदलते राजनीतिक घटनाक्रम के बीच हेमंत सोरेन तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने को तैयार हैं। शपथ ग्रहण समारोह गुरुवार को संभावित है।

2019 के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद मुख्यमंत्री बने हेमंत सोरेन ने 31 जनवरी को जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में जेल जाने से पहले 'स्टॉप गैप अरेंजमेंट' के तहत चंपई सोरेन को अपनी कुर्सी सौंपी थी। अब, जमानत पर जेल से बाहर आने के छह दिनों के भीतर ही उन्होंने कुर्सी उनसे वापस मांग ली।

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बिना किसी कठिनाई के इस्तीफा

चंपई सोरेन से मुख्यमंत्री की कुर्सी वापस लेने में हेमंत सोरेन को वैसी हील-हुज्जत नहीं झेलनी पड़ी, जैसा 2015 में बिहार में जदयू नेता नीतीश कुमार को जीतन राम मांझी को हटाने में झेलनी पड़ी थी। नीतीश कुमार ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की पराजय की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दिया था और खुद की जगह जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाया था।

नीतीश को भरोसा था कि जीतन राम मांझी उनके इशारे पर चलेंगे, लेकिन कुर्सी पर बैठते ही वह रंग बदलकर 'खुदमुख्तार' बन बैठे थे और नीतीश को परेशानी में डाल दिया था। बाद में नीतीश को उन्हें हटाने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ी थी।

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हेमंत सोरेन की सहजता

हेमंत सोरेन के सामने ऐसी परिस्थितियां नहीं बनीं और अपने लोगों के बीच 'टाइगर' कहलाने वाले चंपई सोरेन ने आसानी से समर्पण कर दिया और सिर्फ छोटी-मोटी शर्तों के साथ पांच महीने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी वापस लौटाने पर राजी हो गए।

नेतृत्व परिवर्तन की सियासी सलाह

सूत्रों के अनुसार, "हेमंत सोरेन चाहते थे कि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन मुख्यमंत्री बनें, लेकिन चंपई सोरेन इस पर सहमत नहीं हुए।" उन्होंने हेमंत सोरेन से कहा, "आप फिर से मुख्यमंत्री बनें तो मुझे कोई एतराज नहीं होगा।" चंपई सोरेन का मान रखने के लिए हेमंत सोरेन ने उन्हें सरकार में समन्वय समिति का संयोजक और झामुमो का कार्यकारी अध्यक्ष जैसा कोई पद देने का भरोसा दिलाया।

सोनिया गांधी की सलाह

दो दिन पहले कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने हेमंत सोरेन से फोन पर बात की थी। सूत्रों के मुताबिक, सोनिया ने ही हेमंत सोरेन को कहा कि चूंकि 2019 में झामुमो-कांग्रेस-राजद गठबंधन ने उनके नेतृत्व में चुनाव लड़कर सत्ता हासिल की थी और 2024 में भी जनता के बीच यह संदेश जाना चाहिए कि आप ही गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं। ऐसे में चंपई सोरेन मुख्यमंत्री पद पर रहते हैं तो भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।

बताया जाता है कि सोनिया गांधी की ओर से मिली इसी 'सियासी सलाह' के बाद हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन को हटाकर फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का फैसला लिया। फिर, तय किए गए प्लॉट के अनुसार, बुधवार दोपहर हेमंत सोरेन के कांके रोड स्थित आवास पर आयोजित सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों की बैठक में उन्हें फिर से विधायक दल का नेता चुना गया।

विधायक दल की बैठक

बैठक में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने खुद पद छोड़ने और हेमंत सोरेन को नेता चुने जाने का प्रस्ताव रखा, जिस पर तमाम विधायकों ने सहमति जताई। शाम 7.15 बजे चंपई सोरेन इस्तीफा और हेमंत सोरेन विधायकों के समर्थन का पत्र लेकर एक साथ राज्यपाल के पास पहुंचे।


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