कांग्रेस के मंत्री हमें मर्यादा नहीं सिखाएं : जयराम ठाकुर
हिमाचल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में सोमवार को भाजपा विधायक दल की बैठक हुई। बैठक में जयराम ठाकुर ने कांग्रेस के नेताओं को नसीहत दी।
शिमला : हिमाचल विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में सोमवार को भाजपा विधायक दल की बैठक हुई। बैठक में जयराम ठाकुर ने कांग्रेस के नेताओं को नसीहत दी।
हिमाचल प्रदेश में मंगलवार से मानसून सत्र की शुरुआत होने वाली है। उससे पहले संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। इसमें भाजपा के नेताओं ने जाने से मना कर दिया था। इसको लेकर जयराम ठाकुर ने कहा कि भाजपा विधायक दल को सरकार से नाराजगी और निराशा है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के शब्दों का चयन ठीक नही है, वो मर्यादा का उल्लघंन करते हैं। वहीं कांग्रेस मंत्री हर्षवर्धन चौहान की टिप्पणी ठीक नहीं है, वो हमें मर्यादा के बारे में नहीं समझाएं।
जयराम ठाकुर ने कहा कि सर्वदलीय बैठक में नहीं जाने की वजह पहले ही बता दी गई थी। भाजपा विधायक दल को सरकार से काफी नाराजगी और निराशा है। वहीं जिस प्रकार से सत्ता पक्ष के मंत्री ने परंपरा को लेकर टिप्पणी की है, वो ठीक नहीं है। परंपरा का जिक्र कांग्रेस ना ही करे तो अच्छा होगा, क्योंकि उन्होंने पहले कई परंपराएं तोड़ी हैं।
बता दें कि भाजपा विधायक दल की बैठक में विधायक सुखराम चौधरी, विक्रम ठाकुर, सतपाल सिंह सत्ती, बलवीर वर्मा, विनोद कुमार, राकेश जम्वाल, जेआर कटवाल, इंद्र गांधी, रीना कश्यप, रणधीर शर्मा, सुरेंद्र शौरी, पवन काजल, डी एस ठाकुर, पूर्ण ठाकुर, जनक राज एवं दलीप ठाकुर उपस्थित रहे।
इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने सर्वदलीय बैठक में विपक्ष के नेता के नहीं आने पर खेद व्यक्त करते हुए कहा था, "यह संसदीय परंपराओं के लिए उचित नहीं है। ऐसा पहली बार हुआ कि बैठक में विपक्ष शामिल नहीं हुआ, अगर जयराम ठाकुर को नहीं आना था, तो वह अपनी जगह किसी और को भेज सकते थे।
भाजपा ने 'ऑपरेशन लोटस' का जो प्रयास किया, वह असफल रहा है। अब भाजपा चुपचाप 2027 तक विपक्ष की भूमिका अदा करते हुए जनता के मामले को सदन में उठाए।"
उन्होंने कहा कि स्पीकर का कार्यालय निर्दलीय और दलगत राजनीति से ऊपर है। सदन में सदस्यों के मुद्दों पर चर्चा होती है। आमतौर पर मानसून सत्र पांच से छह दिन का होता है, लेकिन इस बार यह दस दिन तक रखा गया है, ताकि हर सदस्य अपना पक्ष रख सके और सरकार सकारात्मक सुझावों पर अमल करे।
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