Dilwara Jain Temple: अपने इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, राजस्थान का दिलवाड़ा जैन मंदिर
दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू नगर में स्थित हैं, इस मन्दिर का निर्माण 11वीं और 13वीं शताब्दी में हुआ था।
दिलवाड़ा जैन मंदिर राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू नगर में स्थित हैं। इस मन्दिर का निर्माण 11वीं और 13वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर को 1231 ई. में वास्तुपाल और तेजपाल नामक दो भाइयों द्वारा बनवाया गया था। यह मंदिर जैन धर्म के तीर्थंकरों को समर्पित है, दिलवाड़ा जैन परिसर में पांच मंदिर संगमरमर के पत्थरों से बने हुए हैं जिसका इतिहास पूरे विश्व में फैला हुआ है।
जैन मंदिर स्थापित कला का उत्कृष्ट नमूना
इस मन्दिर के 48 खंभों में नृत्यांगनों की आकृति बनी हुई हैं, जैन मन्दिर स्थापित कला का उत्कृष्ट नमूना है पॉंच मन्दिरों के इस समूह में विमल वसाही मन्दिर सबसे पुराना है, इन मंदिरों की अद्भुत कारीगरी देखने योग्य है, मंदिर की शिल्पकला में तरह-तरह के फूल पत्तियां और मानव की आकृतियां इतनी बारीकी से चित्रित हैं, मानो भारत में ऐसा दृश्य कहीं पर न हों।
जैन मंदिर शिल्प सौंदर्य का है बेजोड़ खजाना
अपने ऐतिहासिक महत्व और संगमरमर पत्थर पर बारीक नक्काशी की जादूगरी के लिए पहचाने जाने वाला राज्य के सिरोही जिले के इन विख्यात मन्दिरों में शिल्प सौंदर्य का एक ऐसा बेजोड़ खजाना हैं, जिसे देखने पूरी दुनिया जाती हैं। आपको बता दें कि इस मंदिर में आदिनाथ की मूर्ति की ऑंख हीरे की बनी हुई हैं और उनके गले में मूल्य रत्नों का हार हैं, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता हैं, बाहर से तो यह मंदिर साधारण सा लगता है, लेकिन श्वेत संगमरमर का भीतरी भाग अपनी कलाकृति के लिए पूरे संसार में प्रसिद्ध है।
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