हेल्थ इंश्योरेंस क्षेत्र में उतरने से एलआईसी को बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में मिलेगी मदद
लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एलआईसी) के 2025 में एक स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस इकाई में हिस्सेदारी हासिल करके हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री में प्रवेश करने की उम्मीद है। इससे देश की सबसे बड़ी सरकारी इंश्योरेंस कंपनी को बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
नई दिल्ली : लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एलआईसी) के 2025 में एक स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस इकाई में हिस्सेदारी हासिल करके हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री में प्रवेश करने की उम्मीद है। इससे देश की सबसे बड़ी सरकारी इंश्योरेंस कंपनी को बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद मिलेगी। शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
ग्लोबलडेटा के मुताबिक, भारत का हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर, जीडब्ल्यूपी ( ग्रॉस रिटन प्रीमियम) में 12.5 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) से बढ़ने की उम्मीद है, जो 2024 में 1.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2028 में 2.1 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा।
लीडिंग डेटा और एनालिटिक्स कंपनी की ओर से बताया गया कि अपने मौजूदा ग्राहक आधार का लाभ उठाकर, हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री में एलआईसी का विस्तार इंश्योरेंस सेक्टर में इसकी बाजार हिस्सेदारी को काफी बढ़ा सकता है।
ग्लोबलडेटा के इंश्योरेंस एनालिस्ट, मनोग्ना वांगारी ने कहा, एक निजी, स्वतंत्र स्वास्थ्य बीमा फर्म में हिस्सेदारी हासिल करके, एलआईसी देश में तेजी से बढ़ती हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री में एक मजबूत पकड़ स्थापित करना चाहता है।
पिछले हफ्ते, एलआईसी के एमडी और सीईओ सिद्धार्थ मोहंती ने कहा था कि कंपनी चालू वित्त वर्ष में एक स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी में हिस्सेदारी खरीदने पर फैसला करेगी और इसका ग्राउंडवर्क पूरा हो चुका है।
रिपोर्ट में बताया गया कि हेल्थ इंश्योरेंस इंडस्ट्री में एलआईसी के प्रवेश से इसकी इंश्योरेंस सेक्टर में बाजार हिस्सेदारी भी बढ़ सकती है क्योंकि सरकारी इंश्योरेंस कंपनी के पास मजबूत ब्रांड इमेज और इसकी व्यापक सेल्स फोर्स, जो 13 लाख एजेंटों से अधिक की है।
वर्तमान में, भारतीय हेल्थ इंश्योरेंस मार्केट में सात स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियां काम कर रही हैं।
एलआईसी ने चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए 7,621 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो पिछले वर्ष की समान तिमाही के 7,925 करोड़ रुपये के आंकड़े से 4 प्रतिशत कम है।
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