जानें, अग्रेजों ने ब्रिटिश भारत की पहली राजधानी के लिए कोलकाता का क्‍यों क‍िया चयन

मुगलों के दौर में आगरा और दिल्ली सत्ता का केंद्र हुआ करता था। लेकिन, साल 1772 आते-आते देश में मुगलों की जड़ें कमजोर होने लगी और अंग्रेजों की पकड़ मजबूत होती गई। इसी दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोलकाता (कलकत्ता) को लेकर एक अहम कदम उठाया।

Oct 19, 2024 - 20:32
जानें, अग्रेजों ने ब्रिटिश भारत की पहली राजधानी के लिए कोलकाता का क्‍यों क‍िया चयन
जानें, अग्रेजों ने ब्रिटिश भारत की पहली राजधानी के लिए कोलकाता का क्‍यों क‍िया चयन

नई दिल्ली : मुगलों के दौर में आगरा और दिल्ली सत्ता का केंद्र हुआ करता था। लेकिन, साल 1772 आते-आते देश में मुगलों की जड़ें कमजोर होने लगी और अंग्रेजों की पकड़ मजबूत होती गई। इसी दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोलकाता (कलकत्ता) को लेकर एक अहम कदम उठाया। उन्होंने इसे ब्रिटिश भारत की राजधानी घोषित करने का ऐलान किया, जो उस समय बहुत मत्वपूर्ण फैसला था।

ब्रिटिश राज में कोलकाता ना सिर्फ सत्ता का केंद्र बना, बल्कि व्यापार के मामले भी काफी अहम शहर बनकर उभरा। इस खबर के जरिए जानते हैं कोलकाता के इतिहास के बारे में।

दरअसल, कोलकाता को अंग्रेजी में ‘कैलकटा' या बांग्ला भाषा में कोलकाता या कोलिकाता के नाम से जाना गया। जॉब चारनॉक नाम के शख्स को कोलकाता का संस्थापक माना जाता है। बताया जाता है कि उसने अपनी कंपनी के व्यापारियों के लिए एक बस्ती बसाई। बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी ने एक स्थानीय जमींदार परिवार से तीन गांव (सूतानुटि, कोलिकाता और गोबिंदपुर) को लिया और इसका प्रेसीडेंसी सिटी के रूप में विकास करना शुरू कर दिया।

1727 में इंग्लैंड के राजा जार्ज द्वितीय के आदेश के मुताबिक, यहां एक नागरिक न्यायालय की स्थापना की गई। इसके बाद नगर निगम बनाया गया और फिर पहले मेयर का चुनाव भी हुआ। हालांकि, 1756 में बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला ने इस पर आक्रमण कर उसे जीत लिया। बाद में अंग्रेजों का यहां फिर से अधिकार हो गया और साल 1772 में इसे राजधानी बनाने का ऐलान किया गया।

गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने 1772 में कोलकाता (कलकत्ता) को ब्रिटिश भारत की राजधानी बनाया, जो लगभग 139 सालों तक ब्रिटिश भारत की राजधानी रही। हालांकि, ब्रिटिश सम्राट जॉर्ज पंचम ने 12 दिसंबर 1911 को कोलकाता की जगह दिल्ली को भारत की राजधानी बनाने का ऐलान किया। साल 1911 तक कोलकाता भारत की राजधानी रही।

भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के हर चरण में कोलकाता अहम भूमिका में रहा। साल 1947 में देश की आजादी के साथ पश्चिम बंगाल का विभाजन हो गया। इस बीच, कोलकाता को पश्चिम बंगाल की राजधानी बनाया गया। 1 जनवरी 2001 को कलकत्ता को आधिकारिक तौर पर कोलकाता नाम मिला।


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IANS डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ भारत अपडेट टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.