गर्भवती महिलाओं को मलेरिया से बचाने में कारगर हो सकता है एनआईएच का परीक्षणाधीन टीका
गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे को मलेरिया से बचाने के लिए एक परीक्षणाधीन टीके के अच्छे परिणाम सामने आये हैं। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने बुधवार को यह जानकारी दी।मलेरिया परजीवी एनोफिलीज मच्छरों द्वारा फैलते हैं। इनमें प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (पीएफ) प्रजाति के परजीवी भी शामिल हैं। हालांकि यह किसी भी उम्र के लोगों में बीमारी का कारण बन सकता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और छोटे बच्चों में यह जानलेवा भी हो सकता है।
नई दिल्ली : गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे को मलेरिया से बचाने के लिए एक परीक्षणाधीन टीके के अच्छे परिणाम सामने आये हैं। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) ने बुधवार को यह जानकारी दी।
मलेरिया परजीवी एनोफिलीज मच्छरों द्वारा फैलते हैं। इनमें प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम (पीएफ) प्रजाति के परजीवी भी शामिल हैं। हालांकि यह किसी भी उम्र के लोगों में बीमारी का कारण बन सकता है, लेकिन गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और छोटे बच्चों में यह जानलेवा भी हो सकता है।
एक अनुमान के अनुसार, गर्भावस्था में मलेरिया परजीवी के संक्रमण के कारण हर साल अफ्रीका में 50 हजार गर्भवती महिलाओं की जान चली जाती है और दो लाख मृत शिशु जन्म लेते हैं।
परीक्षणों से पता चला है कि अमेरिकी जैव प्रौद्योगिकी कंपनी सानारिया द्वारा निर्मित पीएफएसपीजेड वैक्सीन, जो पीएफ स्पोरोज़ोइट्स पर आधारित एक विकिरण-अटेंयूटेड टीका है, बेहद प्रभावी है। इसके बूस्टर खुराक की भी जरूरत नहीं है।
परीक्षण 18 से 38 वर्ष की आयु की 300 स्वस्थ महिलाओं पर किया गया, जिन्हें टीकाकरण के तुरंत बाद गर्भवती होने की उम्मीद थी।
परीक्षण के लिए महिलाओं को सबसे पहले मलेरिया परजीवियों को हटाने के लिए दवा दी गई। इसके बाद एक-एक महीने के अंतराल पर तीन इंजेक्शन दिये गये। कुछ महिलाओं को इंजेक्शन में सिर्फ सलाइन दिये गये जबकि अन्य को एक या दो खुराक में परीक्षणाधीन टीका दिया गया।
एनआईएच के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इन्फेक्शस डिसीज (एनआईएआईडी) और माली स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ साइंसेज, टेक्निक्स एंड टेक्नोलॉजीज, बामाको (यूएसटीटीबी) द्वारा यह परीक्षण किया गया है।
शोधकर्ताओं ने कहा, "जिन महिलाओं ने पीएफएसपीजेड वैक्सीन की दोनों खुराक लीं, उनमें परजीवी संक्रमण और नैदानिक मलेरिया से काफी हद तक सुरक्षा देखी गई, जो बूस्टर खुराक के बिना भी दो साल तक बनी रही।"
द लैंसेट इन्फेक्शस डिजीज नामक पत्रिका में प्रकाशित परीक्षणों से पता चला कि तीसरी वैक्सीन लगवाने के 24 सप्ताह के भीतर 55 महिलाएं गर्भवती हो गईं। इन महिलाओं में से जिन महिलाओं को कम खुराक वाला टीका मिला था उनमें पैरासाइटेमिया के खिलाफ वैक्सीन 65 प्रतिशत प्रभावी थी और जिन महिलाओं को उच्च खुराक वाला टीका मिला उनमें वैक्सीन 86 प्रतिशत प्रभावी देखी गई।
अध्ययन के दो साल के दौरान गर्भवती होने वाली 155 महिलाओं में से कम खुराक वाली वैक्सीन प्राप्त करने वाली महिलाओं में वैक्सीन 57 प्रतिशत प्रभावी थी और उच्च खुराक वाले समूह में 49 प्रतिशत प्रभावी थी।
टीम ने बताया की जिन महिलाओं ने वैक्सीन की एक भी खुराक ली थी, वे सिर्फ सलाइन लेने वाली महिलाओं की तुलना में जल्दी गर्भवती हुईं। हालांकि इस निष्कर्ष के लिए संख्या महत्व के स्तर तक नहीं पहुंच पाई।
शोधकर्ताओं का अनुमान है कि पीएफएसपीजेड वैक्सीन मलेरिया से संबंधित प्रारंभिक गर्भावस्था के नुकसान को रोक सकती है क्योंकि गर्भधारण के दौरान पैरासाइटेमिया का जोखिम 65 से 86 प्रतिशत तक कम हो जाता है।
शोधकर्ताओं ने कहा, "यदि अतिरिक्त क्लीनिकल ट्रायलों के माध्यम से इसकी पुष्टि हो जाती है तो इस अध्ययन में अपनाई गई पद्धति गर्भावस्था में मलेरिया की रोकथाम के बेहतर रास्ते खोल सकती है।''
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