जन सुराज पार्टी' का उदय बिहार के पॉलिटिक्स में नए अध्याय का उदय

बिहार की पॉलिटिक्स-पॉवर पैसा के इर्द गिर्द घूमती है. और उस पॉलिटिक्स में सबसे बड़ा अहम फैक्टर है जाति जो की बिहार की पॉलिटिक्स से जाती ही नहीं है. जाति पर राजनीति करना ही बिहार की राजनीति का आधार है और इसी आधार को आड़ बना बिहार कि राजनीति रंग, नस्ल, नाम और धर्म के इर्दगिर्द ही घूमती-फिरती रहती है.

Oct 4, 2024 - 05:31
जन सुराज पार्टी' का उदय बिहार के पॉलिटिक्स में नए अध्याय का उदय
जन सुराज पार्टी' का उदय बिहार के पॉलिटिक्स में नए अध्याय का उदय

नई दिल्ली : बिहार की पॉलिटिक्स-पॉवर पैसा के इर्द गिर्द घूमती है. और उस पॉलिटिक्स में सबसे बड़ा अहम फैक्टर है जाति जो की बिहार की पॉलिटिक्स से जाती ही नहीं है. जाति पर राजनीति करना ही बिहार की राजनीति का आधार है और इसी आधार को आड़ बना बिहार कि राजनीति रंग, नस्ल, नाम और धर्म के इर्दगिर्द ही घूमती-फिरती रहती है. फिलहाल बिहार की राजनीति ने अंगड़ाई ले ली है. बिहार की राजनीति में नई पार्टी का प्रवेश हो गया है. पहले गांधी जी की तरह पदयात्रा की गई और अब गांधी जी की ही जयंती पर अपने अभियान को प्रशांत किशोर ने अब राजनीतिक दल में परिवर्तित कर दिया है. 


"जन सुराज पार्टी" के पहले कार्यकारी अध्यक्ष मनोज भारती को बनाया गया है. किशोर की लॉन्चिंग बिहार भर में उनकी 3,000 किलोमीटर की पदयात्रा की दूसरी वर्षगांठ के साथ हुई. ये वहीं प्रशांत किशोर हैं जिन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बिहार में नीतीश कुमार और पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के चुनावी रणनीति में अहम भूमिका निभा चुके हैं. प्रशांत किशोर की पहचान ऐसे चाणक्य के तौर पर की जाती है जिसकी मौजूदगी ही जीत की गारंटी है. 


प्रशांत किशोर भारत में चुनावी रणनीतिकार के तौर पर करियर की शुरुआत करने से पहले संयुक्त राष्ट्र के सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े अभियान में नौकरी पेशा थें. अफ्रीका से संयुक्त राष्ट्र की नौकरी छोड़ कर किशोर 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोदी की टीम का हिस्सा बने. 2012 के विधानसभा चुनाव में मोदी की पॉलिटिकल ब्रांडिंग का काम शुरू किया. प्रशांत किशोर ने 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी के अभियान को मोदी लहर में तब्दील करने में अहम भूमिका निभाई थी.


ऐसा नहीं है कि प्रशांत किशोर के लिए सब ठीक ही रहा. कांग्रेस के साथ उनका प्रयोग असफल रहा था. और अब प्रशांत की किशोर ने अपनी पार्टी बना ली है. जन सुराज पार्टी की लॉन्चिंग के साथ ही प्रशांत किशोर ने बिहार के सीएम नीतीश के खिलाफ जोरदार मोर्चा खोल दिया है. इसके लिए प्रशांत किशोर ने खास तरीके का 'ट्रिपल-एस' फॉर्मूला तैयार किया है. ट्रिपल-एस का मतलब है शराब, सर्वे और स्मार्ट मीटर है. इन्हीं एजेंडा से प्रशांत किशोर बिहार की पॉलिटिक्स को साधेंगे और बिहार की जनता के हीत को आगे बढ़ाएंगे. 


जन सुराज पार्टी का मुख्य एजेंडा बिहार में व्यापक सुधार और विकास पर केंद्रित है, जिसमें शिक्षा, आर्थिक नीतियां और सामाजिक मुद्दे प्रमुख हैं. प्रशांत किशोर ने कुछ मुख्य बिंदुओं को उजागर किया है, जो पार्टी के एजेंडे का हिस्सा हैं 
सबसे पहला और अहम मुद्दा शिक्षा में सुधार-पार्टी का सबसे बड़ा एजेंडा बिहार की शिक्षा प्रणाली को विश्वस्तरीय बनाना है. प्रशांत किशोर ने राज्य की शिक्षा में सुधार लाने के लिए अगले दशक में 5 लाख करोड़ के निवेश की बात भी कही है.
दूसरा अहम मुद्दा शराबबंदी की समीक्षा-जन सुराज पार्टी के एजेंडे में शराबबंदी का मुद्दा भी प्रमुख है. प्रशांत किशोर ने बिहार में शराबबंदी से होने वाले राजस्व नुकसान जो की सालाना करीब 20,000 करोड़ रुपये है उसकी ओर भी ध्यान आकर्षित किया है. उनका प्रस्ताव है कि जब शराबबंदी हटाई जाएगी, जिसके बाद करीब 20,000 करोड़ बिहार की राजश्व का हिस्सा बनेगी तो इस पैसे को शिक्षा सुधार के लिए उपयोग किया जाएगा. यानी की शराब से आने वाले राजश्व का इस्तेमाल विकास के लिए किया जाएगा.


तीसरा अहम मुद्दा राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार- एजेंडे के तहत पार्टी बिहार की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए योजनाएं बनाएगी, जो राजस्व बढ़ाने और विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने पर केंद्रित होंगी.
बिहार में वही पुरानी घिसी-पीटी पॉलिटिक्स का रिवाज रहा है. अब ऐसे में जन सुराज के आने से बिहार की पॉलिटिक्स में नया माहौल बनने की उम्मीद तो है पर प्रशांत किशोर कैसे बीजेपी की B टीम का ठप्पा, अपने भूत को भविष्य पर हावी होने से रोकते हैं ये देखते बनेगा. 


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