संसद परिसर में बना प्रेरणास्थल हर भारतीय के लिए तीर्थ स्थल से कम नहीं : उपराष्ट्रपति
संसद परिसर में रविवार शाम प्रेरणास्थल का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, अर्जुन राम मेघवाल, एल. मुरुगन व केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने लाला लाजपत राय को श्रद्धांजलि अर्पित की।
नई दिल्ली : संसद परिसर में रविवार शाम प्रेरणास्थल का लोकार्पण किया गया। इस मौके पर राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव, अर्जुन राम मेघवाल, एल. मुरुगन व केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने लाला लाजपत राय को श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रेरणास्थल पर भारतीय महापुरुषों, क्रांतिकारी, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण करने वाले महापुरुषों की प्रतिमा को सम्मानपूर्वक तरीके से स्थापित किया गया है।
इनमें महात्मा गांधी, लाला लाजपत राय, बिरसा मुंडा, डॉ. भीमराव अंबेडकर, महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज समेत कई महापुरुषों की प्रतिमाएं शामिल हैं। जिन लोगों ने भारत की आजादी के लिए बलिदान दिया, इतिहास में भारत का गौरव बढ़ाया, यह प्रेरणास्थल ऐसे लोगों के बारे में लोगों को जानकारी देगा।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार शाम प्रेरणास्थल का लोकार्पण किया। इस दौरान उन्होंने, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला व केंद्रीय मंत्रियों ने महात्मा गांधी व लाला लाजपत राय की प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित की।
इस दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रेरणास्थल के लिए परिसर का सर्वश्रेष्ठ स्थान निश्चित किया गया है। यह ऐसा स्थान है, जो हर भारतीय के लिए किसी तीर्थ स्थल से कम नहीं है। प्रेरणास्थल के बारे में सुना, सोचा, लेकिन यह जमीनी हकीकत पर इस शानदार तरीके से होगा, यह सोचकर मैं बहुत प्रभावित हूं। जो भी व्यक्ति यहां कुछ भी पल बिताएगा, वह प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकेगा। अंदाजा लगाइए भारत के इतिहास में महापुरुषों का क्या योगदान है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आजादी के कितने वर्ष बाद डॉ. अंबेडकर को भारत रत्न मिला, मुझे गौरव प्राप्त है कि उस समय मैं केंद्रीय मंत्री परिषद का सदस्य था। हमारे महापुरुषों की हम जितनी कद्र करें, वह कम है। उनके जीवन का यह वह पल है, जिनकी उन्होंने कभी कल्पना नहीं की थी।
संसद में लगी सभी महापुरुषों व क्रांतिकारियों की प्रतिमाएं एक स्थान पर सुसज्जित की गई हैं। यहां आगुंतक व पर्यटक उनके जीवन दर्शन के बारे में सुन व पढ़ सकेंगे। इसके लिए संसद के भीतर एक विशेष व्यवस्था की जा रही है।
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