कथावाचक इंद्रेश के एक कथित बयान को लेकर मथुरा-वृंदावन से लेकर पूरे यादव समाज में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। इस बयान ने न केवल धार्मिक भावनाओं को आहत किया है, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी तीखी प्रतिक्रिया को जन्म दिया है। यादव समाज का आरोप है कि कथावाचक इंद्रेश ने एक सार्वजनिक मंच से यादव समाज को भगवान श्रीकृष्ण का वंशज मानने से इनकार किया, जिसे समाज ने अपमानजनक और तथ्यहीन बताया है।
इस मुद्दे को लेकर यादव समाज के विभिन्न संगठनों और समाज के प्रबुद्ध लोगों ने संयुक्त रूप से पत्रकार वार्ता कर अपना विरोध दर्ज कराया। वक्ताओं ने कहा कि यह बयान न केवल धार्मिक ग्रंथों के खिलाफ है, बल्कि समाज को बांटने और भ्रम फैलाने वाला भी है। यादव समाज का कहना है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म यदुवंश में हुआ था और यह बात किसी एक मत या विचारधारा तक सीमित नहीं है, बल्कि शास्त्रों में स्पष्ट रूप से वर्णित है।
यादव समाज के प्रतिनिधियों ने श्रीमद्भागवत पुराण, महाभारत और विष्णु पुराण जैसे प्रमुख ग्रंथों का हवाला देते हुए कहा कि इनमें भगवान श्रीकृष्ण को यदुवंशी बताया गया है। समाज का कहना है कि सदियों से चली आ रही इस ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यता को नकारना न सिर्फ अज्ञानता है, बल्कि समाज की आस्था पर सीधा हमला भी है।
पत्रकार वार्ता के दौरान वक्ताओं ने कथावाचक इंद्रेश को खुले शास्त्रार्थ की चुनौती भी दी। उन्होंने कहा कि अगर इंद्रेश के पास अपने बयान के समर्थन में कोई प्रमाण हैं, तो वे सार्वजनिक मंच पर शास्त्रों के आधार पर चर्चा के लिए तैयार हैं। यादव समाज ने साफ कहा कि बिना प्रमाण ऐसे बयान देना गैर-जिम्मेदाराना है और इससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ता है।
यादव समाज ने इस पूरे मामले में सार्वजनिक माफी की मांग की है। समाज का कहना है कि अगर कथावाचक इंद्रेश अपने बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते, तो वे कानूनी और लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने को मजबूर होंगे। वक्ताओं ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आंदोलन शांतिपूर्ण होगा, लेकिन अपने धार्मिक और ऐतिहासिक अस्तित्व से समाज किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेगा।
इस बयान के बाद मथुरा-वृंदावन सहित कई इलाकों में यादव समाज के बीच नाराज़गी का माहौल है। समाज के लोगों का कहना है कि धार्मिक मंचों से इस तरह के बयान न केवल विवाद बढ़ाते हैं, बल्कि समाज में अनावश्यक तनाव भी पैदा करते हैं। यादव समाज ने सरकार और प्रशासन से भी मांग की है कि ऐसे बयानों पर संज्ञान लिया जाए, ताकि भविष्य में किसी भी समुदाय की भावनाएं आहत न हों।








