देश के सियासी और धार्मिक माहौल में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के एक बयान ने नई बहस छेड़ दी है। यह बयान पश्चिम बंगाल में कथित तौर पर बाबरी मस्जिद के निर्माण को लेकर दिया गया है, जिसे लेकर राजनीतिक और धार्मिक प्रतिक्रियाएं सामने आने लगी हैं।
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि यदि देश में बाबरी मस्जिद दोबारा बनाने की कोशिश होती है, तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू समाज इस तरह की किसी भी कोशिश के खिलाफ पहले की तरह तैयार रहेगा। उनके इस बयान के बाद 6 दिसंबर 1992 की घटनाएं एक बार फिर चर्चा में आ गई हैं, जब अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराया गया था।
अपने बयान में पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने बाबर के नाम पर किसी भी निर्माण को देश की सांस्कृतिक आत्मा के खिलाफ बताया। उन्होंने कहा कि विदेशी आक्रांताओं के नाम पर धार्मिक ढांचे बनाना देश में धार्मिक उन्माद फैलाने की साजिश का हिस्सा हो सकता है। उनका कहना था कि इस तरह के प्रयास समाज को बांटने का काम करते हैं और देश की एकता के लिए खतरा पैदा करते हैं।
धीरेंद्र शास्त्री ने यह भी कहा कि जब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ था, तब कई लोगों ने सवाल उठाए थे और सुझाव दिए थे कि वहां अस्पताल या स्कूल बनाए जाने चाहिए थे। लेकिन अब जब बाबरी मस्जिद के निर्माण की बात सामने आई है, तो वही लोग चुप्पी साधे हुए हैं। उन्होंने इसे दोहरे मापदंड का उदाहरण बताया।
उनके इस बयान के बाद राजनीतिक गलियारों में भी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। कुछ लोग इसे धार्मिक भावनाओं को भड़काने वाला बयान बता रहे हैं, तो वहीं समर्थकों का कहना है कि धीरेंद्र शास्त्री ने हिंदू समाज की भावना को आवाज़ दी है। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा तेजी से वायरल हो रहा है, जहां लोग पक्ष और विपक्ष में अपनी राय रख रहे हैं।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि देश में धार्मिक मुद्दों पर बयानबाज़ी की सीमा क्या होनी चाहिए। साथ ही यह भी कि ऐसे बयानों का सामाजिक सौहार्द और कानून-व्यवस्था पर क्या असर पड़ सकता है। फिलहाल पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के इस बयान ने धार्मिक और राजनीतिक बहस को नई दिशा दे दी है और आने वाले दिनों में इस पर और प्रतिक्रियाएं सामने आने की संभावना है।








