गाजीपुर के नेहरू स्टेडियम में आयोजित “विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना” का कार्यक्रम पारंपरिक कारीगरों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया। यह योजना वर्ष 2018 में शुरू की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य बुनकरों, शिल्पकारों और अन्य पारंपरिक कारीगरों को प्रशिक्षण, आधुनिक उपकरण और आर्थिक सहायता देकर आत्मनिर्भर बनाना है।
इस कार्यक्रम के दौरान जिले के 25 बुनकरों को सरकार की ओर से निःशुल्क टूल किट दी गई, जिसमें उनके काम से जुड़े जरूरी औजार शामिल थे। इन औजारों की मदद से कारीगर अपने काम को बेहतर गुणवत्ता के साथ कर सकेंगे और उनकी उत्पादकता भी बढ़ेगी। राज्यसभा सदस्य संगीता बलवंत ने स्वयं कारीगरों को टूल किट वितरित की और उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया।
योजना के तहत कारीगरों को 10 दिनों का मुफ्त प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें उन्हें आधुनिक तकनीक, नए काम करने के तरीके और समय व संसाधनों का सही उपयोग सिखाया जाता है। प्रशिक्षण के दौरान प्रत्येक कारीगर को ₹4,000 की आर्थिक सहायता भी दी जाती है, जो सीधे उनके बैंक खाते में भेजी जाती है, ताकि वे बिना किसी आर्थिक दबाव के प्रशिक्षण पूरा कर सकें। इस योजना का उद्देश्य केवल आर्थिक सहायता देना नहीं है, बल्कि कारीगरों के जीवन स्तर को बेहतर बनाना और उन्हें बाजार की प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना भी है।
आधुनिक तकनीक और पारंपरिक हुनर के मेल से कारीगर अपने उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ा सकते हैं और उन्हें बड़े बाजारों तक पहुंचा सकते हैं। सरकार का मानना है कि पारंपरिक कारीगर केवल रोजगार से ही नहीं, बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत से भी जुड़े हुए हैं, इसलिए उन्हें मजबूत करना बहुत जरूरी है। गाजीपुर जैसे ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में इस योजना का सकारात्मक असर साफ दिखाई दे रहा है, जहां पहले कारीगरों को आधुनिक उपकरणों की कमी के कारण नुकसान उठाना पड़ता था, अब वही कारीगर बेहतर साधनों और प्रशिक्षण की मदद से अपनी आमदनी बढ़ा रहे हैं। कुल मिलाकर, विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना कारीगरों को सम्मान, रोजगार और आत्मनिर्भरता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है।








