दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ के शिल्पकार और भारत के महान मूर्तिकार राम वनजी सुतार का निधन हो गया है। उन्होंने 100 वर्ष की उम्र में 17 दिसंबर 2025 की देर रात नोएडा स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली। उनके निधन के साथ ही भारतीय कला जगत का एक स्वर्णिम अध्याय समाप्त हो गया।
राम वनजी सुतार सिर्फ एक मूर्तिकार नहीं थे, बल्कि वे ऐसे कलाकार थे जिन्होंने पत्थर और धातु में भारत के इतिहास, संस्कृति और महान व्यक्तित्वों को अमर रूप दिया। करीब 70 वर्षों से अधिक लंबे करियर में उन्होंने देश-विदेश में ऐसी प्रतिमाएं गढ़ीं, जो आज भारत की पहचान बन चुकी हैं।
उनका जन्म 19 फरवरी 1925 को महाराष्ट्र के धुले जिले के गोंडूर गांव में हुआ था। उन्होंने मुंबई के प्रतिष्ठित जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से कला की शिक्षा प्राप्त की। यहीं से उनके रचनात्मक सफर की शुरुआत हुई, जिसने उन्हें दुनिया के महान मूर्तिकारों की सूची में शामिल कर दिया।
राम सुतार की सबसे ऐतिहासिक और विश्वप्रसिद्ध कृति गुजरात में बनी 182 मीटर ऊंची ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ है, जो सरदार वल्लभभाई पटेल को समर्पित है और वर्तमान में दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। इसके अलावा दिल्ली में संसद भवन के बाहर स्थापित महात्मा गांधी की कांस्य प्रतिमा, मध्य प्रदेश के गांधी सागर बांध पर 45 फीट ऊंची प्रतिमा, डॉ. भीमराव अंबेडकर, छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराजा सुहेलदेव की प्रतिमाएं भी उनकी अमर कृतियों में शामिल हैं।
उनकी कला ने भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। अमेरिका, फ्रांस और इटली जैसे देशों में स्थापित गांधी प्रतिमाएं उनके वैश्विक योगदान का प्रमाण हैं। खास बात यह रही कि 100 साल की उम्र में भी वे सक्रिय थे और कई बड़े प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे थे।
उनके अतुलनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें 1999 में पद्मश्री, 2016 में पद्म भूषण और टैगोर सांस्कृतिक सद्भाव पुरस्कार से सम्मानित किया। हाल ही में नवंबर 2025 में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें ‘महाराष्ट्र भूषण’ सम्मान प्रदान किया था।
राम वनजी सुतार के निधन से कला, संस्कृति और समाज ने एक ऐसा रत्न खो दिया है, जिनकी बनाई प्रतिमाएं आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरित करती रहेंगी।








