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उत्तर प्रदेश में घरौनी कानून 2025 पास, ग्रामीणों को जमीन और मकान के पक्के कागजात मिलेंगे

makan jameen

उत्तर प्रदेश में हाल ही में ग्रामीण आबादी विधेयक 2025, जिसे आम भाषा में घरौनी कानून कहा जा रहा है, पास कर दिया गया है। यह कानून गांवों में रहने वाले लोगों के लिए बेहद अहम माना जा रहा है। इसके तहत अब ग्रामीण अपने घर और जमीन के पक्के कागजात आसानी से बनवा सकेंगे। साथ ही बैंक से लोन लेने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने में भी उन्हें सुविधा मिलेगी।

इस कानून का मुख्य उद्देश्य गांवों में मौजूद मकान और जमीन के रिकॉर्ड को कानूनी मान्यता देना है। अब गांवों में किसी भी घर या जमीन का रिकॉर्ड साफ और स्पष्ट रूप से दर्ज होगा। इसके लिए ड्रोन सर्वे कराया गया है, जिससे हर घर और भूखंड का सही माप, क्षेत्रफल, लोकेशन और मालिक का नाम दर्ज किया गया है। इससे भविष्य में जमीन और मकान से जुड़े विवादों में कमी आने की उम्मीद है।

उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने मिलकर इस योजना को लागू किया है। अब तक राज्य के लगभग 1,10,344 गांवों को इस योजना में शामिल किया जा चुका है। इनमें से 90,573 गांवों में ड्रोन सर्वे का काम पूरा हो चुका है। मई महीने तक करीब 1 करोड़ 6 लाख घरौनियां तैयार की गई थीं, जिनमें से 1 करोड़ 1 लाख से ज्यादा घरौनियां ग्रामीणों को वितरित की जा चुकी हैं।

घरौनी कानून लागू होने के बाद संपत्ति से जुड़े कई काम आसान हो जाएंगे। अब घरौनी में नाम बदलवाना, संपत्ति बेचना, विरासत या उत्तराधिकार से जुड़े मामलों में साफ नियम तय हो जाएंगे। सभी नामांतरण और बदलाव पारदर्शी तरीके से किए जाएंगे, जिससे विवाद और झगड़े कम होंगे।

ग्रामीणों को इस कानून से सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि वे अपनी संपत्ति के आधार पर बैंक से आसानी से लोन ले सकेंगे। इसके अलावा सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में भी परेशानी नहीं होगी। घरौनी दस्तावेज में मकान या जमीन के मालिक का नाम, भूखंड का पूरा विवरण, क्षेत्रफल, रेखा चित्र और स्थान की जानकारी दर्ज रहेगी। इससे धोखाधड़ी और गलतफहमी की संभावना काफी कम हो जाएगी।

सरकार का कहना है कि इस विधेयक से ग्रामीण इलाकों में संपत्ति विवादों में कमी आएगी और लोग अपने घर और जमीन के रिकॉर्ड को कानूनी रूप से सुरक्षित रख सकेंगे। इससे ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और विकास योजनाओं का लाभ सीधे लोगों तक पहुंचेगा।

कुल मिलाकर, घरौनी कानून 2025 को ग्रामीण विकास और संपत्ति सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इससे गांवों में रहने वाले लोगों को अपने घर और जमीन पर अधिकार का मजबूत प्रमाण मिलेगा और भविष्य में होने वाली परेशानियों से राहत मिलेगी।