अमेरिका में सामने आए जेफरी एपस्टीन सेक्स ट्रैफिकिंग केस से जुड़ी फाइलें अब सार्वजनिक कर दी गई हैं। इन दस्तावेजों के सामने आने के बाद अमेरिका से लेकर भारत तक हलचल मच गई है। वजह यह है कि इन फाइलों में सिर्फ अमेरिका और यूरोप ही नहीं, बल्कि भारत से जुड़े कुछ नामों का भी जिक्र होने की बात कही जा रही है।
19 दिसंबर को अमेरिका के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने एपस्टीन केस से जुड़े करीब 3 लाख दस्तावेज सार्वजनिक किए। इन दस्तावेजों में कानूनी रिकॉर्ड, ईमेल, फ्लाइट लॉग, फोटो, वीडियो और गवाहियों से जुड़ी जानकारियां शामिल हैं। बताया जा रहा है कि इन फाइलों का खुलासा एक नाबालिग पीड़िता की कानूनी प्रक्रिया के बाद हुआ।
इन रिकॉर्ड्स में दावा किया गया है कि एपस्टीन के नेटवर्क से जुड़े 250 से ज्यादा नाबालिग लड़कियों के यौन शोषण के मामले सामने आए थे। इसके अलावा 1200 से ज्यादा पीड़ितों और उनके परिवारों का जिक्र भी दस्तावेजों में बताया जा रहा है।
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन फाइलों में दुनिया के कई प्रभावशाली और चर्चित लोगों के नाम संदर्भ के तौर पर दर्ज होने की बात सामने आई है। रिपोर्ट्स के अनुसार इनमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन, ब्रिटेन के प्रिंस एंड्रयू, पॉप स्टार माइकल जैक्सन, अभिनेता क्रिस टकर, अरबपति बिल गेट्स और डोनाल्ड ट्रंप जैसे नाम शामिल बताए जा रहे हैं। हालांकि साफ किया गया है कि किसी का नाम आना अपने आप में अपराध की कानूनी पुष्टि नहीं करता।
जेफरी एपस्टीन एक अमीर फाइनेंसर था, जो बड़े दानदाता और ताकतवर लोगों का करीबी माना जाता था। जांच में सामने आया कि वह नाबालिगों की सेक्स ट्रैफिकिंग के बड़े नेटवर्क का मुख्य किरदार था। अमेरिका के वर्जिन आइलैंड्स के पास उसका निजी द्वीप ‘लिटिल सेंट जेम्स’ था, जिसे एपस्टीन आइलैंड के नाम से जाना जाता था।
आरोप है कि इसी द्वीप पर हाई-प्रोफाइल पार्टियां होती थीं, जहां नाबालिग लड़कियों को लालच और दबाव में शामिल किया जाता था। एपस्टीन इसके लिए अपने निजी जेट ‘लोलिता एक्सप्रेस’ का इस्तेमाल करता था।
इस मामले का पहला खुलासा 2005 में हुआ था। शुरुआती जांच के बाद भी एपस्टीन को सख्त सजा नहीं मिली। लेकिन 2019 में दोबारा गिरफ्तारी हुई और 10 अगस्त 2019 को वह जेल में मृत पाया गया। सरकारी रिपोर्ट में इसे आत्महत्या बताया गया, लेकिन परिस्थितियों को लेकर आज भी सवाल उठते हैं।
अब फाइलें सार्वजनिक होने के बाद भारत में भी चर्चा तेज है। कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि दस्तावेजों में भारत से जुड़े चार नामों का उल्लेख है, हालांकि अब तक किसी भी भारतीय पर कोई कानूनी आरोप या सबूत सामने नहीं आया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि एपस्टीन का नेटवर्क बहुत बड़ा था और किसी का नाम दस्तावेजों में होना अपराध का प्रमाण नहीं माना जा सकता। फिलहाल यह मामला सत्ता, रसूख और सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े कर रहा है।








