Putin In India : रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा अपने सबसे महत्वपूर्ण चरण में पहुंच चुकी है। उनकी इस यात्रा के दौरान उच्च स्तरीय बैठकों और सम्मान का दौर जारी है। हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन का आलिंगन कर गर्मजोशी से स्वागत किया और रात्रि में प्रधानमंत्री आवास पर उनके लिए एक विशेष भोज का आयोजन किया गया।
प्रातः राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति पुतिन को 21 तोपों की सलामी दी गई और तीनों सेनाओं द्वारा ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ देकर उनका भव्य स्वागत किया गया। इसके उपरांत पुतिन राजघाट पहुंचे, जहां उन्होंने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री मोदी को रूस भ्रमण का निमंत्रण
राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को रूस आने और 2026 में होने वाले शिखर सम्मेलन में सम्मिलित होने का निमंत्रण दिया है। भारत और रूस अगले वर्ष भी अपना द्विपक्षीय संवाद जारी रखेंगे, जो उनके सामरिक एवं आर्थिक संबंधों को सुदृढ़ बनाए रखने की रणनीति का अभिन्न अंग है।
वैश्विक चुनौतियों पर चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और रूस की मित्रता को ‘ध्रुव तारे’ के समान बताया। उन्होंने कहा कि पिछले 8 दशकों में विश्व ने अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं और मानवता को कई प्रकार की चुनौतियों एवं संकटों का सामना करना पड़ा है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने रूसी पर्यटकों को 30 दिन का निःशुल्क वीजा देने की घोषणा भी की।
शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन
भारत-रूस संबंध विश्वास और परस्पर सम्मान की नींव पर आधारित हैं। दोनों देश 2030 तक 100 अरब डॉलर के व्यापार लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर हैं। प्रधानमंत्री ने यूक्रेन मुद्दे पर शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन किया और उल्लेख किया कि इस प्रक्रिया में अमेरिका भी शामिल है। राष्ट्रपति पुतिन ने पीएम मोदी के आतिथ्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनके आवास का भोजन अत्यंत स्वादिष्ट था।
बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था की ओर
रूस ने परमाणु ऊर्जा, प्राकृतिक गैस, शिपिंग, रक्षा आधुनिकीकरण और ‘मेक इन इंडिया’ परियोजनाओं में सहयोग जारी रखने की पुष्टि की है। दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति जताई कि भारत-रूस साझेदारी एक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को सशक्त बनाएगी।
निर्बाध तेल आपूर्ति का आश्वासन
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने भारत को बिना किसी बाधा के तेल आपूर्ति जारी रखने का ऐलान किया। हालांकि, इस दौरान भारत और रूस के बीच किसी लड़ाकू विमान या बड़े रक्षा सौदे की घोषणा नहीं हुई, जिसकी संभावनाएं जताई जा रही थीं।








