Haryana Congress : हरियाणा की राजनीति में लंबे समय से चर्चा का विषय रहे दो अहम पदों पर कांग्रेस ने आखिरकार फैसला सुनाया है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा फिर से नेता प्रतिपक्ष बनेंगे, जबकि प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर उनके सहयोगी राव नरेंद्र का नाम चुना गया है। यह निर्णय जाट और ओबीसी समुदायों के गठबंधन (गठजोड़) को मज़बूती देने की दिशा में उठाया गया है, जिसका राजनीतिक हलकों में पहले से ही अनुमान था।
अनुभव और OBC समीकरण से संतुलन साधने का प्रयास
भूपेंद्र सिंह हुड्डा का राजनीतिक सफ़र बेहद लंबा और प्रभावशाली रहा है। वे दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं, चार बार नेता प्रतिपक्ष, चार बार सांसद और छह बार विधायक भी रह चुके हैं। इसके अलावा वे छह साल तक प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। दूसरी तरफ राव नरेंद्र सिंह तीन बार विधायक रह चुके हैं और हुड्डा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री के पद पर भी काम किया है।
कांग्रेस ने प्रदेश अध्यक्ष के पद पर ओबीसी नेता को चुना है जो अहीरवाल क्षेत्र से आते हैं। यह रणनीति इसलिए अपनाई गई है ताकि पार्टी अहीरवाल क्षेत्र में अपनी पकड़ मज़बूत कर सके। इस क्षेत्र ने पिछले तीन कार्यकालों से भाजपा को हरियाणा में सत्ता हासिल करने में मदद की है।
हुड्डा पर कांग्रेस का भरोसा बरकरार
दोनों पदों पर यह नियुक्ति साफ़ संकेत है कि कांग्रेस हाईकमान का भरोसा भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर अभी भी बरकरार है। विरोधी गुटों ने दिल्ली में लंबे समय तक लॉबिंग की, लेकिन अंततः हाईकमान ने यह स्पष्ट कर दिया कि जनता और विधायकों का समर्थन ही नेतृत्व तय करेगा, न कि केवल दिल्ली में सक्रियता।
नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के नाम पर लंबे समय से अटकलें लगाई जा रही थीं। कहा जा रहा था कि हुड्डा को नेता प्रतिपक्ष और राव नरेंद्र को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है। पार्टी के शीर्ष नेता राहुल गांधी ने बिहार में होने वाली कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में दोनों नेताओं को आमंत्रित किया था।
दिल्ली में एआईसीसी के वरिष्ठ नेताओं के साथ राहुल गांधी ने कई दिन तक इन नामों पर विचार-विमर्श किया। दावेदारों में कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला के नाम भी चर्चा में थे, जबकि प्रदेश अध्यक्ष के लिए अशोक तंवर और कृष्णा मुरारी हुड्डा जैसे नेता भी सामने थे।
शीर्ष नेतृत्व करेगा अंतिम फैसला
राहुल गांधी ने पहले ही यह स्पष्ट कर दिया था कि विधानसभा में विपक्ष की कमान ऐसे नेता को दी जाएगी जो मज़बूत संगठनात्मक पकड़ के साथ सरकार पर कड़ी नज़र रख सके। भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस मामले में सबसे आगे थे। वहीं प्रदेश अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी ऐसे नेता को देने का प्रयास किया गया है जो पार्टी के सभी गुटों के बीच संतुलन बनाए रख सके। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने कहा है कि हरियाणा कांग्रेस कमेटी की ओर से दोनों पदों के लिए प्रस्ताव दिल्ली हाईकमान को भेजा जा चुका है और अब अंतिम फैसला शीर्ष नेतृत्व करेगा।
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