Loading...
  • ... अपडेट हो रहा है
  • ... अपडेट हो रहा है
  • ... अपडेट हो रहा है
24K Gold
Loading...
Silver (1kg)
Loading...
24K Gold
Loading...
ताज़ा ख़बरें
Loading updates...

अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी संगोष्ठी में संस्कृति और भाषा संरक्षण पर हुआ मंथन

आजमगढ़ में अंतरराष्ट्रीय भोजपुरी संगम का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें देश-विदेश से आए विद्वानों, साहित्यकारों और संस्कृति प्रेमियों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भोजपुरी भाषा, साहित्य और लोक संस्कृति को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाना और इसके संरक्षण पर विचार करना था। आयोजन ने यह संदेश दिया कि भोजपुरी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की सांस्कृतिक पहचान है।

कार्यक्रम के उद्घाटन सत्र में मॉरीशस से आईं भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन की चेयरपर्सन डॉ. वर्षारानी विशेष्वर ‘दुल्चा’ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान होती है। उन्होंने बताया कि उनके पूर्वज लगभग पाँच पीढ़ी पहले मॉरीशस गए थे, लेकिन आज भी वहाँ भारतीय, विशेषकर भोजपुरी संस्कृति जीवंत रूप में सुरक्षित है।

डॉ. वर्षारानी ने बताया कि पिछले दो वर्षों से मॉरीशस में छठ पूजा का आयोजन बड़े स्तर पर होने लगा है, जिसमें टेलीविजन और मीडिया की अहम भूमिका रही है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भोजपुरी भाषा को संरचना और वैश्विक मान्यता की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि मॉरीशस में स्कूलों के पाठ्यक्रम में भोजपुरी को अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने की तैयारी चल रही है, जो भोजपुरी भाषा के इतिहास में एक बड़ी उपलब्धि है। उनके अनुसार, जब तक नई पीढ़ी भोजपुरी से नहीं जुड़ेगी, तब तक यह भाषा पूरी तरह विकसित नहीं हो सकती।

नेपाल के मधेशी आयोग के प्रथम प्रमुख आयुक्त डॉ. विजय कुमार दत्त ने कहा कि आजमगढ़ ऋषि-मुनियों की तपोभूमि रही है और इसका संबंध भगवान श्रीराम से भी जुड़ा है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी हमारी लोक संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। नेपाल में अधिकतर लोग भोजपुरी भाषा को समझते हैं और यह भाषा भारत और नेपाल के बीच आत्मीय संबंधों को और मजबूत करती है। उन्होंने भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

कार्यक्रम में लीबिया के पूर्व प्रोफेसर अनिल के. प्रसाद ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भोजपुरी की पहचान पर अपने विचार रखे। वहीं, मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान, वाराणसी के पूर्व निदेशक प्रो. ओम प्रकाश सिंह ने कहा कि भोजपुरी हमारी पहचान है। उन्होंने बताया कि कबीर और गोरखनाथ की भाषा भी भोजपुरी रही है और डिजिटल युग में भोजपुरी की रक्षा के लिए ऑनलाइन भोजपुरी संग्रहालय की जरूरत है।

इस अवसर पर गोरखपुर के महापौर डॉ. मंगलेश कुमार श्रीवास्तव, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष सहजानंद राय सहित कई गणमान्य अतिथियों ने भी अपने विचार साझा किए। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में भोजपुरी भाषा, साहित्य और लोक संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर गहन चर्चा हुई।

कार्यक्रम संयोजक डॉ. अरविंद चित्रांश ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और अध्यक्ष डॉ. निर्मल श्रीवास्तव ने सम्मान समारोह संपन्न कराया। संचालन डॉ. ईश्वर चंद्र त्रिपाठी और प्रिया तिवारी ने किया। चिल्ड्रेन स्कूल और सनबीम स्कूल की छात्राओं द्वारा प्रस्तुत लोक नृत्य ने सभी का मन मोह लिया।

यह आयोजन भोजपुरी भाषा और संस्कृति को सहेजने और आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ